चतुर हिरण और बकरे की कहानी

 एकबार की बात है जंगल में एक हिरण था जो बहुत चतुर था। घास चरते चरते पैर फिसलने के कारण वह जंगल की खाई में  गिर पड़ा। खाई से निकलने का वह बहुत प्रयास कर था लेकिन सारे प्रयास असफल हो रहे थे। बहुत जोर जोर की छलाँग लगाने के बाद भी वह बाहर नहीं निकल पाया। हाथभर की दुरी रह जा रही थी।  अब वह विचार करने लगा की कोई वस्तु उसे हाथभर ऊंचाई की मिल जाए तो वह कुएँ से बहार निकल जाए। 

बहुत नजर दौड़ाई खाई में ऐसी को चीज़ नहीं पड़ी थी जिसे सींग के सहारे खींच कर वह पर ऊंचाई बना सके। जो ऊंचाई उसे कुएँ से बाहर निकलने में पर्याप्त हो। 

अब उसने अपने दिमाग पर जोड़ डाला। उसने किसी अन्य जानवर के सहारे बाहर निकलने की योजना बनाई।  वह खाई  से बाहर किसी जानवर के आहट की प्रतीक्षा करने लगा।  एक बकरी घास चरती हुई  मेमियाती हुई  खायी की तरफ आ रही था। बकरी की आहट सुन हिरण खुश हुआ।  उसको लगा अब उसकी योजना सफल होने वाली है। 

हिरण खाई में से डकारने  की आवाज निकालने लगा।  डकारने की आवाज वह आवाज है जो बताती है की जानवर पेट भर खा लिया है।  

डकारने की आवाज सुनकर बकरी को लगा की खाई की तरफ अच्छी घास है जिससे मैं शीघ्र तृप्त हो जाऊँगी। बकरी हिरण के आवाज का अनुगमन कर
खायी के  पास गयी। बकरी को  निकट आता देख हिरण घास चरने का नाटक  करने लगा।  बकरी खायी के पास आकर देखती है तो खायी के भीतर हिरण घास चर रहा है। 


बकरी हिरण से पूछती है कुएँ के अंदर अच्छी घास है क्या। हिरण जबाब देता है हाँ , और घास चरने  लगता है। 

बकरी बिना बिचारे खायी में कूद जाती है। हिरण बिना देर किए बकरी के पीठ पर चढ़कर छलाँग लगाता है  और खाई से बहार आ जाता है। 

हिरण के खाई  से बाहर जाने पर बकरी परेशान होकर हिरण से पूछती है=== मैं बाहर कैसे आउंगी ?


इसपर हिरण जबाब देता है!!! खाई से घास चरने के तीन स्टेप थे !!

स्टेप १ : खायी में  कूदना 

स्टेप २ : खायी में  घास चरना 

स्टेप ३ : खायी से यत्न पूर्वक बाहर आना 

बकरी तुमने पूरी बात ध्यान से सुनी  नहीं और कूद पड़ी। रुको मैं तुम्हें बहार निकालने का यत्न करता हूँ। 

हिरण किसी लकड़ी टहनी की तलाश करने लगा जिसे खाई में डालने से बकरी आसानी से बाहर आ सके। 

हिरण अपने सींग के सहारे खाई में कुछ लकड़ियाँ डाला जिससे बकरी खायी से बाहर आ सकी.

इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है कमेंट में लिखें। ..


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