वसंत अगर ऋतुओं का राजा है तो वर्षा को ऋतुओं की रानी कहा गया है. और
इस बरसात में भी सावन का महीना विशेष मनभावन होता है. सावन के महीने को कई बातों
से महत्वपूर्ण माना जाता है . सावन के महीने की प्रसिद्धि की कहानी कुछ इसप्रकार
है :->
पौराणिक संदर्भ
एक बार सनत कुमारों ने भगवन शिव से सावन के महीने की प्रसिद्धि का
कारण पूछा. भगवन शिव ने संताकुमारों से दक्ष प्रजापति सुता सती की कहानी सुनाई. भगवन
शिव ने कहा -> दक्ष यज्ञ में मेरा अपमान न सहन कर सकने के कारण सती ने योगाग्नि
से शरीर जला लिया था. सती को प्रत्येक जन्म में मेरा ही सानिद्ध्य पाने का वरदान
है . अतः सती ने अगले जन्म में पर्वत राज हिमालय के यहाँ पार्वती के रूप में जन्म
लेकर कठोर तप किया और मुझे पुनः पति के रूप में प्राप्त किया . इससे इस महीने का
विशेष महत्व है .
ऐसा भी कहा जाता है की समुद्र मंथन के बाद कालकूट विष भी इसी महीने
में निकला था . भगवान शिव ने जन कल्याण के लिए इसी महीने में उस हलाहल का पान किया
था .
मृकंदु ऋषि के पुत्र मार्कंडेय जी को आल्पयु योग था . भगवान शिव की
कठोर तपस्या से उन्हें अमरत्व प्राप्त हुआ . मार्कंडेय जी जे सावन के पवित्र महीने
में ही भगवन शिव की आराधना की थी .
सावन के महीने में सबसे ज्यादा वृष्टि होती है . जिससे भगवान भोले नाथ
जिनका विष धारण करने से शरीर उष्ण बना रहता है सावन के फुहारों से ठंढक की अनुभूति
होती है .
सावन के महीने से चातुर्मास व्रत का आरम्भ होता है . चातुर्मास व्रत भगवान
विष्णु के अराधना को समर्पित है. इसी महीने में भाई बहन के प्यार का प्रतीक रक्षा
बंधन का पवित्र त्यौहार आता है . योगी यति साधक इस पवित्र मास से अपने सुविधा
अनुसार व्रत नियम का पालन करते हैं .
ज्योतिषीय सन्दर्भ
पूर्णिमा तिथि को जो नक्षत्र होता है वही उस महीने का नाम होता है . सावन महींने के पूर्णिमा को श्रावणा नक्षत्र होता है इसीलिए इस महीने का नाम श्रावण पड़ा है .
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