धोखेबाज मित्र की कहानी - जो मुसीबत में साथ न दे उनसे से दोस्ती नहीं करनी चाहिए

एक दिन रामू को दूसरे गाँव जाना था। उसकी माँ ने कहा - बेटा अकेले मत जाओ, अपने दोस्त को अपने साथ ले जाओ।रामू के करीबी दोस्त श्यामू थे। श्यामू जाने के लिए तैयार है। फिर दोनों दूसरे गाँव जाने लगे, बीच में एक बड़ा सा जंगल था। दोनों आराम से बात करते हुए जंगल से गुजर रहे थे, तभी श्यामू हैरान था जैसे कोई हिंसक जानवर सामने आया हो, श्यामू जल्दी से पेड़ पर चढ़ गया।


 रामू सोचता है कि श्यामू किस कारण से भाग रहा है, जब रामू ने पीछे मुड़कर देखा तो वहाँ एक भालू खड़ा था। रामू ने सोचा कि भालू को देखकर स्यामू भाग गया और उसने मुझे दौड़ने के लिए भी नहीं कहा, अब मैं क्या करूँ? कुछ सोचने के बाद वह अपनी सांस रोककर सीधे लेट जाता है।


भालू काफी देर तक उसके कान के पास खड़ा रहा, आखिरकार उसे मरा समझकर वहां से चला गया। बाद में श्यामू आता है और रामू से पूछता है कि भालू ने तुम्हारे कान में क्या कहा?

रामू जवाब देता है- जो मुसीबत में साथ न दे उनसे  से दोस्ती नहीं  करनी चाहिए ।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ