धनञ्जय का षड्यंत्र
एक दिन, धनञ्जय ने राजा भोज के सामने अपनी विद्वता का प्रदर्शन करते हुए एक कविता प्रस्तुत की:
"अपशब्दं शतं माघे, भैरवी च शतत्रयम्।
कालिदास न गण्यन्ते, कविरेको धनञ्जयः।"
इसका अर्थ था:
- माघ कवि के काव्यों में 100 अशुद्धियाँ हैं।
- भैरवी के काव्यों में 300 अशुद्धियाँ हैं।
- कालिदास के काव्यों में तो अशुद्धियों की गिनती ही नहीं है।
- और केवल धनंजय (यानी स्वयं धनंजय) के काव्य में केवल एक त्रुटि है।
धनंजय ने यह कविता कहकर न केवल कालिदास को अपमानित करने की चेष्टा की, बल्कि स्वयं को सबसे श्रेष्ठ कवि घोषित कर दिया। दरबार में सन्नाटा छा गया। सभी की नजरें कालिदास पर थीं।
कालिदास का त्वरित उत्तर
कालिदास, जो अशुकवि (अर्थात् शीघ्र कविता रचने वाले) के रूप में प्रसिद्ध थे, मुस्कुराए। उन्होंने न तो क्रोध दिखाया और न ही अपमानित महसूस किया। उन्होंने कविता की ओर ध्यान दिया और उसमें छिपी त्रुटि को तुरंत पहचान लिया। उन्होंने बड़ी सरलता और बुद्धिमत्ता से कहा,
"हे कविराज शतनजय, आपकी कविता में एक छोटा-सा संशोधन कर दूँ?"
शतनजय ने घमंड में कहा, "संशोधन? मेरी कविता में त्रुटि? असंभव! फिर भी, आप प्रयास करें।"
कालिदास ने "अपशब्दं" को "आपशब्दं" में बदल दिया और पूरी कविता का अर्थ पलटकर रख दिया। संशोधित कविता अब इस प्रकार थी:
आपशब्दं शतं माघे, भैरवी च शतत्रयम्।
कालिदास न गण्यन्ते, कविरेको धनञ्जयः।।
संशोधित अर्थ था:
- माघ कवि जल के 100 पर्यायवाची शब्द जानते हैं।
- भैरवी कवि जल के 100 पर्यायवाची शब्द जानते हैं।
- कालिदास के काव्य में इतनी अधिक जल के पर्यायवाची शब्द है कि उन्हें गिना ही नहीं जा सकता।
- और धनंजय कवि जल के सिर्फ 1 पर्यायवाची शब्द जानते हैं।
दरबार में उल्लास और धनंजय की पराजय
कालिदास की बुद्धिमत्ता और त्वरित निर्णय ने पूरे दरबार को मंत्रमुग्ध कर दिया। राजा भोज ने हर्षपूर्वक कहा, "कालिदास केवल कवि ही नहीं, शब्दों के जादूगर हैं।"
धनंजय का चेहरा लाल पड़ गया। उनकी योजना बुरी तरह असफल हो गई। दरबारियों ने तालियों की गड़गड़ाहट से कालिदास का स्वागत किया। धनंजय को अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्होंने कालिदास से क्षमा माँगी।
शिक्षा
यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चा ज्ञान और प्रतिभा किसी भी चुनौती का सामना कर सकती है। कालिदास की तरह, हमें धैर्य, बुद्धिमत्ता, और रचनात्मकता से हर स्थिति को अपने पक्ष में मोड़ना आना चाहिए।
0 टिप्पणियाँ