सुनहरी नगरी नामक एक छोटे से गाँव में एक बालक अर्जुन रहता था। वह बहुत चतुर और बुद्धिमान था, लेकिन उसकी एक बुरी आदत थी—वह हमेशा अपने कामों को टालता रहता था। पढ़ाई, खेल, या घर के काम—वह हर चीज़ के लिए कहता, "कल कर लूंगा, अभी बहुत समय है!"
उसके माता-पिता और गुरुजी ने कई बार उसे समझाया कि "समय सबसे अनमोल चीज़ है, जो एक बार चला जाता है, वह वापस नहीं आता।" लेकिन अर्जुन उनकी बातों को मज़ाक में उड़ा देता।
एक दिन का पाठ
एक दिन, गाँव में एक प्रसिद्ध विद्वान आए। उन्होंने सभा में गाँववालों को समय की महत्ता पर एक कहानी सुनाई:
"एक किसान के पास एक सुंदर घड़ी थी, जो उसे उसके पिता ने दी थी। वह उसे बहुत पसंद करता था, लेकिन धीरे-धीरे उसकी लापरवाही के कारण घड़ी खराब हो गई। किसान सोचता रहा कि कल इसे ठीक कराऊँगा, लेकिन हर दिन वह टालता गया। धीरे-धीरे घड़ी पूरी तरह बंद हो गई और जब वह उसे ठीक कराने पहुँचा, तो कारीगर ने कहा—अब यह ठीक नहीं हो सकती।"
अर्जुन ने यह कहानी सुनी, लेकिन उसे लगा कि यह तो बस एक साधारण बात है। उसने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
सबसे बड़ा पछतावा
कुछ महीनों बाद, उसके स्कूल में एक बहुत बड़ी परीक्षा हुई। अर्जुन ने सोचा था कि वह परीक्षा से पहले पढ़ाई कर लेगा, लेकिन हमेशा की तरह उसने इसे टाल दिया। परीक्षा का दिन आया, और वह कुछ भी नहीं लिख पाया। जब परिणाम आया, तो वह फेल हो गया, जबकि उसके सभी दोस्त अच्छे अंक लाए।
गुरुजी ने अर्जुन से कहा, "बेटा, अगर तुम समय पर पढ़ाई करते, तो आज यह दिन नहीं देखना पड़ता। समय किसी के लिए नहीं रुकता, जो इसे बर्बाद करता है, वह जीवन में पीछे रह जाता है।"
अर्जुन को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने निश्चय किया कि अब वह कभी समय को व्यर्थ नहीं करेगा और हर काम समय पर पूरा करेगा।
कहानी की सीख:
✅ समय सबसे मूल्यवान धन है, इसे कभी बर्बाद नहीं करना चाहिए।
✅ आलस्य और टालमटोल करने की आदत से जीवन में केवल पछतावा मिलता है।
✅ जो समय का सम्मान करता है, वही जीवन में सफलता प्राप्त करता है।
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