मेरे नरेंद्र मेरे विशाल, भारत भू के महिपाल - महँगाई रोको


मेरे नरेंद्र मेरे विशाल, भारत भू के महिपाल 

मेरे नरेंद्र मेरे विशाल ,

भारत भू के महिपाल ।

था जो असाध्य साधा तूने ,

सब जग ने माना तुम्हे।। 


था दशकों से जो लंबित विवाद,

केशर कश्मीर का वाद प्रतिवाद ।।





वो कश्यपात्मजों की करुण कथा ,

पलायित प्रताड़ित परिवारों की व्यथा ।।


कब पूर्ववर्ती सरकारों ने सुनी थी,

कुछ आशा थी तुम से हे भूपाल ।

इसलिए सबने तुम्हें  चुनी थी ,


तलाक से तड़पती तुर्क तिरया भी, 

तुम्हे वोट करके इतराइए थी ।

जब हुए संसोधन कानून में ,

वो अपने घर दिवाली मनाई थी ।।


तुम सिर्फ नरपति नहीं महिपाल, 

तुम्हे सभी जनमानस का ख्याल ।

तुम प्रतिनिधि नहीं किसी मजहब के, 

प्रतिपालक हो तुम जन  जन के।। 


राम मंदिर विवाद की राजनीति, 

रखी सरकारों ने अबतक खींची । 

जब लगे भाजपाई अनुवाद में, 

सुलझा विवाद हर्षनाद में ।।


अब महँगाई की है आशंका ,

सबके मन में यही है शंका ।

बढ़ते डीज़ल पेट्रोल के दाम ,

मूल्य वृद्धि के कारक  तमाम ।।


कुछ निति निर्धारण करो हे प्रतिनिधि ,

नित क्षीण हो रही संचित निधि। 

अर्थार्जन स्रोत का बढ़ता अभाव, 

दैहिक भौतिक तापों का प्रभाव ।।

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