नाम की कीमत

 बहुत समय पहले की बात है। एक जंगल मई एक शेर रहता था। उसका शेर का नाम शेरु था। 

वह सोचता था-


"मै एक शेर हू , जंगल का राजा ! तो मेरा नाम कुत्ते की तरह क्यों है?? 




उसने अपना नाम खूँखार रखा। एक दिन सुबह वो पंचायत करने पहुचा । जानवर बोले तुम जंगल के राजा नही हो सींघासन से उतरो ।खूनखार बोला "और कोई शेर यहा नही है तो मैं इस जंगल का राजा हु।" 

                                         तभी एक और शेर आया और बोला-

                                                            "मै शेरू हूँ।" 



शेरू और वह शेर गुफा में गए। दूसरा शेर बोला मै किमानू हूँ तुम्हारे बचपन का दुशमन, आज से यह जंगल मेरा है।" किमानू ने शेरू को राज्य से निकाल दिया। उनकी बाते एक भेडिए ने सुन ली थी । उसने सभी जानवरो को समझाया लेकिन क्योकी वह उस राज्य का नही था उसकी बात किसी ने नही मानी। 

भेड़िया शेरू को उपने घर ले गया। 





दूसरे राज्य के शेर के साथ रहने के कारण बाकी जानवरो ने उसे राज्य से निकाल दिया । 

भेड़िया बोला- आप चिंता मत करो मैं आपका राज्य आपको  कल तक दिला दूंगा।" 

वह शेरू के राज्य गया और बोला -

" तुम उन दोनों शेरो से राज्य के बारे मे सवाल पूछो ,जो शर उत्तर जानता होगा वही राज्य का असली राजा है।"

उसकी बात पे किसी ने ध्यान नही दिया पर हाथी बोला 


"छोरे के बात मे दम लागे से चलो try करेंगे शेर अपना सै-कि ना ।" 



अगली सुबह सबने ऐसा ही किया और शेरू को अपना राज्य वापस मिल गया। शेरू ने भेड़िये को मंत्री बनाया। शेरू को अब अपने नाम से परेशानी नही थी क्योकी नाम से भले वो कुत्ता हो पर काम से तो वह शेर ही है।


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