भारत में शिक्षक दिवस हर साल 5 सितंबर को मनाया जाता है, जो कि महान विद्वान, दार्शनिक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती है। यह दिन हमारे जीवन में शिक्षकों के महत्वपूर्ण योगदान को सम्मानित करने और उनकी सराहना करने के लिए समर्पित है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि अगर यह दिवस डॉ. राधाकृष्णन की जयंती पर आधारित है, तो इसे हिंदू पंचांग के अनुसार क्यों नहीं मनाया जाता?
ग्रेगोरियन कैलेंडर और उसकी सीमाएं
हमारी वर्तमान तिथि प्रणाली ग्रेगोरियन कैलेंडर पर आधारित है, जो एक सौर कैलेंडर है और इसमें 365 दिन होते हैं, जिसमें हर चौथे साल में एक अतिरिक्त दिन जोड़ा जाता है (लीप वर्ष)। लेकिन इस कैलेंडर में एक दिन 24 घंटे के बजाय 24 घंटे 4 मिनट का होता है। इसका मतलब है कि ग्रेगोरियन कैलेंडर हर साल लगभग 6 घंटे 15 मिनट का हिसाब नहीं रख पाता है, जो कि 128 वर्षों में एक पूरे दिन का अंतर पैदा कर देता है। इस असंगति के कारण, किसी महान व्यक्ति की जयंती का सही सम्मान इस कैलेंडर के आधार पर नहीं किया जा सकता।
हिंदू पंचांग का महत्व
हिंदू पंचांग एक व्यापक और सटीक कैलेंडर प्रणाली है जो सौर और चंद्र कैलेंडर के संयोजन पर आधारित है। इसमें तिथि, नक्षत्र, योग, और करण जैसे तत्वों का विस्तृत विश्लेषण किया जाता है, जिससे किसी व्यक्ति की जयंती सही दिन और समय पर मनाई जा सके। यदि हम डॉ. राधाकृष्णन जैसे महान शिक्षाविद की जयंती को सम्मानपूर्वक मनाना चाहते हैं, तो हमें इसे हिंदू पंचांग के अनुसार मनाना चाहिए।
डॉ. राधाकृष्णन की जयंती का सही सम्मान
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन न केवल एक महान शिक्षक थे, बल्कि उन्होंने भारतीय संस्कृति और ज्ञान को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया। उनकी जयंती को सही मायने में सम्मानित करने के लिए, हमें इसे भारतीय समय गणना और संस्कृति के अनुसार मनाना चाहिए। यह न केवल हमारी परंपराओं के प्रति सम्मान दिखाएगा, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान को भी मजबूत करेगा।
परिवर्तन की दिशा में कदम
शिक्षा और जागरूकता: स्कूलों और कॉलेजों में इस विषय पर चर्चा होनी चाहिए कि शिक्षक दिवस को हिंदू पंचांग के अनुसार मनाने के क्या लाभ हैं और इससे हमारी संस्कृति को कैसे बल मिलता है।
सरकारी समर्थन: सरकार और शैक्षणिक संस्थाओं को इस दिशा में पहल करनी चाहिए और पंचांग के आधार पर शिक्षक दिवस मनाने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए।
सामुदायिक भागीदारी: समाज और समुदायों को इस विचार का समर्थन करना चाहिए और सही तिथि को शिक्षक दिवस मनाने के लिए आगे आना चाहिए।
निष्कर्ष
शिक्षक दिवस केवल एक तिथि नहीं है, यह हमारे शिक्षकों और हमारे सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति सम्मान का प्रतीक है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को सही रूप में मनाने के लिए, हमें इसे हिंदू पंचांग के अनुसार मनाना चाहिए। यह एक ऐसा कदम होगा जो न केवल हमारे शिक्षकों का सम्मान करेगा, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर को भी सहेज कर रखेगा।
सन्दर्भ :
---पंडित रत्नेश उपाध्याय द्वारा सत्यापित
0 टिप्पणियाँ