जादूगर का भाई: एक सीख - jadugar ka bhai ek shikh

 एक बार एक जादूगर अपने 10 साल बेटे और अपने भाई के साथ रहता था जब जादूगर को ये पता चला की उसका भाई काला जादू सीखता है तो वो उसे घर से निकल देता है

  पर जादूगर के भाई को ये बात पसंद नहीं आती और वो  एक बुरी जादूगरनी के पास जाता है और जादूगरनी को सब कह सुनाता है जादूगरनी  इसका फायदा उठाने का सोचती है और उसे एक गोली देती है वह बोलती है कि इसको जाकर जादूगर के बेटे को खिला दो फिर वह वही करेगा जो तुम कहोगे पर वह उसे यह नहीं बताती कि जादूगर का बेटा गोली खाकर जादूगरनी के काबू में आ जाएगा जादूगर का भाई जादूगर के बेटे को गोली ले जाकर खिला देता है

गोली खाकर जादूगर का बेटा जादूगरनी के काबू में आजाता जैसे ही जादूगर का बेटा जादूगरनी के काबू में आता है जादूगरनी को पता चल जाता है  वह तुरंत ही अपने जादू से उन दोनों को अपने जादू से अपने पास बुला लेती है जदुगर के भाई  को कुछ समझ नहीं आता और वह जादूगरनी से पूछ पड़ता है "यह सब क्या है  ऐसे बुलाने क्या मतलब है। जादूगरनी कोई जवाब नहीं देती और जादूगर के भाई को चूहा बना देती है।

 तब जादूगर के भाई को समझ आजाता है की उसने अपने भाई को बर्बाद करने के प्रयास में खुद को ही मुसीबत में दाल लिया है। इससे पहले बुरी जादूगरनी और कुछ कर पाती जादूगर वहा आ जाता है और सबको बचा लेता है  जादूगर के भाई को अपनी गलती का अहसास होता है और वह आने बड़े भाई से माफी मांगता है और सब ख़ुशी-ख़ुशी रहने लगते है

 

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