विद्या ददाति विनयम,
विनयाद् याति पात्रताम् ।
पात्रत्वात् धनमाप्नोति,
धनात् धर्मं ततः सुखम् ॥
अर्थात विद्या अध्ययन से विनम्र स्वभाव होता है।
विनम्र स्वभाव का व्यक्ति सत्पात्र होता है (वह गुणग्राही बन जाता है )
पत्रता ग्रहण करने से उसे धन की प्राप्ति होती है।
धन को वह शास्त्र विहित धर्मों में व्यय करता है।
ऐसे धर्माचरण करने से उसे सुख की प्राप्ति होती है।
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