बहुदेववाद और एकेश्वरवाद बहुत अच्छी तरह से परिभाषित है।

एकेश्वरवाद का अर्थ

अब कोई कहे कि तुम हिंदू 1 से ज्यादा भगवान मानते हो तो इसका आपके पास सही प्रति उत्तर होना चाहिये।

मनुष्य तप करके पदोन्नति पाकर देवता बन सकता है ईश्वर नहीं।

पुराणों में ऐसा कई प्रमाण है राक्षसों और मनुष्यों के इंद्र होने का।


सबका 1 ही ईश्वर है ये मुझे पता है । यह बात बताने मुझे कोई साईं बाबा नहीं आएगा।
ईश्वर की उपासना ही श्रेष्ठ है।

गीता में भगवान कृष्ण ने बताया है।




हे अर्जुन जो मुझे भजता है वो मेरे लोक को आता है।

जो भूत प्रेतों की पूजा करता है वो उनकी लोक में जाता है।

चिंता का विषय है कि मुसलमान मजारों पर जाते हुए तो दिखते है लेकिन उन्हें भगवान मान कर नहीं पूजते। जबकि हिन्दू उस मजार को भगवान समझकर पूजता है।
सोचिये प्रेत पूजा हिन्दू ने किया मुसलमान ने नहीं ।
अब प्रेत लोक में कौन जाएगा?
अपने पितरों को सम्मान देना प्रेत पूजा नहीं है।

हा दूसरे के पितर को पूजना प्रेत पूजा है और आपका प्रेत लोक में रेजिस्ट्रेशन हो रहा है।

आश्चर्य तो तब होता है जब लोग अपने पितरों का पितृ पक्ष में श्राद्ध नहीं करते और मुर्दा की पूजा करने दूर दूर चले जाते हैं।

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