एक अकेला हाथी साथियों के लिए जंगल में खोजबीन कर रहा था ।
इसके तुरंत बाद, वह एक बंदर के पास आया और पूछा, "क्या हम दोस्त बन सकते हैं, बंदर ?"
तुम बड़े हो और पेड़ों पर मेरी तरह नहीं झूल सकते, इसलिए मैं तुम्हारा दोस्त नहीं बन सकता , बंदर ने झट से जवाब दिया ।
बन्दर निराश होने के बाद , हाथी एक खरगोश के सामने आते देखा। उसने फिर उससे पूछा , "खरगोश, क्या हम दोस्त हो सकते हैं ?"
तुम इतने बड़े हो कि मेरे बिल में फिट नहीं हो सकते , खरगोश ने हाथी की ओर मुड़ते हुए कहा। तुम मेरे दोस्त नहीं बन सकते ।
हाथी तब तक चलता रहा जब तक कि उसे एक मेंढक नहीं मिल गया। क्या तुम मेरे दोस्त बनोगे, मेंढक ? हाथी ने पूछा।
तुम मेरी तरह कूदने के लिए बहुत बड़े और भारी हो , मेंढक ने प्रतिकार किया। तुम मेरे दोस्त नहीं हो सकते, मुझे माफ़ कर दो।
रास्ते में मिलने वाले जीवों से हाथी पूछता रहा , लेकिन उसे हमेशा एक ही जवाब मिलता था ।हाथी ने अगले दिन जंगल के सभी जानवरों को आतंक में भागते हुए देखा ।जब उसने एक भालू को रोका और पूछा कि क्या हो रहा है, तो उसे बताया गया कि बाघ हर छोटे जानवर पर हमला कर रहा है ।
हाथी बाघ के पास गया और अन्य जानवरों को बचाने के लिए उससे विनती की ।
बाघ ने ध्यान नहीं दिया।उसने केवल इतना कहा हाथी तुम अपने काम से मतलब रखो मेरे काम में टाँग मत अड़ाओ। परिणाम अच्छा नहीं होगा।
हाथी ने कहा परिणाम से कौन डरता है ऐसा कहकर उसने बाघ को लात मारी और उसे डरा कर भगा दिया क्योंकि उसके पास और कोई चारा नहीं था बाघ को वो समझा कर थक गया था ।
अन्य जानवरों ने जब अपने प्रति हाथी की सहृदयता सुनी तो वो बहुत खुश हुए , सबने कहा , "आप हमारे दोस्त बनने के लिए उचित आकार के हैं ।
सभी जानवरों ने हाथी का स्वागत किया और गन्ने और केले भरपूर मात्रा में खाने के लिए भेंट किए।
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