महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है, जिसे हर साल उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार गणेश चतुर्थी के रूप में जाना जाता है, जिसे लोग भगवान गणेश की पूजा और आराधना करके मनाते हैं। इस ब्लॉग में, हम गणेश चतुर्थी के महत्व, पूजा विधि, सामग्री, मंत्र, और गौरी गणेश पूजन के वैदिक मंत्र के बारे में चर्चा करेंगे।
गणेश चतुर्थी का महत्व:
गणेश चतुर्थी हिन्दू धर्म में भगवान गणेश के आगमन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान गणेश की आराधना और श्रद्धा का प्रतीक है, और लोग इसे धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन, लोग गणेश मूर्तियों की स्थापना करते हैं और उन्हें पूजन करते हैं।
गणेश चतुर्थी पूजा विधि:
गणेश चतुर्थी पूजा का आयोजन शुभ मुहूर्त में किया जाता है। सबसे पहले, गणेश मूर्ति को स्थापित किया जाता है। फिर, पूजारी गणेश पूजा के लिए अपने हाथों को धोते हैं और पूजा का आरंभ करते हैं। पूजा में फल, फूल, मिश्रित सूखे फल, और मिठाईयाँ भोग के रूप में चढ़ाई जाती हैं।
गणेश चतुर्थी पूजा सामग्री:
- गणेश मूर्ति
- अभिषेक के लिए जल
- गंध (सुगंधित पानी और गंध का पाउडर)
- दीपक और दीपक की बत्तियाँ
- आरती की थाली
- धूप और धूपकी
- पूजा की थाली
- मिठाईयाँ
- पुष्प
गणेश पूजा विधि मंत्र सहित:
गणेश पूजा के समय विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है। कुछ मुख्य मंत्र निम्नलिखित हैं:
- "ॐ गं गणपतये नमः"
- "ॐ गणेशाय नमः"
- "ॐ वक्रतुण्डाय हुं"
गौरी गणेश पूजन वैदिक मंत्र:
गणेश पूजा को वैदिक मार्ग से आचरण करने के लिए षोडशोपचार पूजा विधि उपयोगी होती है, जिसमें विभिन्न मंत्रों का प्रयोग किया जाता है। यहाँ गणेश पूजन के षोडशोपचार (षोडश उपचार) और संबंधित मंत्र दिए जा रहे हैं:
१. आवाहन (अवाहन मंत्र):
पूजा की शुरुआत में गणेश जी को आवाहन करने के लिए निम्नलिखित मंत्र का जप करें:
"ॐ गणेशाय नमः, आवाहयामि।"
२. आसन (आसन मंत्र):
गणेश जी को आसन पर स्थापित करने के लिए इस मंत्र का प्रयोग करें:
"सुखासने स्थितं तुभ्यं पाद्यं समर्पयाम्यहम्।"
३. पाद्य (पाद्य मंत्र):
गणेश जी के पैरों को धोने के लिए इस मंत्र का प्रयोग करें:
"आकाशात् पतितं तोयं यदा गच्छति सागरम्।
तदा मूर्ध्ना तवं पुण्यं प्रभृमि पुरुषोत्तम।"
४. अर्घ्य (अर्घ्य मंत्र):
गणेश जी को अर्घ्य देने के लिए इस मंत्र का प्रयोग करें:
"ॐ गङ्गायै नमः, अर्घ्यं समर्पयामि।"
५. आचमन (आचमन मंत्र):
पूजा की शुरुआत में आचमन करने के लिए इस मंत्र का प्रयोग करें:
"ॐ केशवाय नमः, आचमनं समर्पयामि।"
६. स्नान (स्नान मंत्र):
गणेश जी के स्नान के लिए इस मंत्र का प्रयोग करें:
"गङ्गेयं पुनरागम्य यत्र गच्छामि तं गृहम्।
तत्र स्नात्वा नमस्कृत्य देवान्सर्वान्समानय।"
७. वस्त्र (वस्त्र मंत्र):
गणेश जी को वस्त्र पहनाने के लिए इस मंत्र का प्रयोग करें:
"ॐ हिरण्यगर्भाय नमः, वस्त्रं समर्पयामि।"
८. यज्ञोपवीत (यज्ञोपवीत मंत्र):
गणेश जी को यज्ञोपवीत पहनाने के लिए इस मंत्र का प्रयोग करें:
"ॐ यज्ञोपवीताय नमः, यज्ञोपवीतं समर्पयामि।"
९. गन्ध (गन्ध मंत्र):
गणेश जी के लिए गन्ध लगाने के लिए इस मंत्र का प्रयोग करें:
"ॐ गं गणपतये नमः, गन्धं समर्पयामि।"
१०. पुष्प (पुष्प मंत्र):
गणेश जी को पुष्प चढ़ाने के लिए इस मंत्र का प्रयोग करें:
"ॐ गं गणेशाय नमः, पुष्पं समर्पयामि।"
११. दूप (दूप मंत्र):
गणेश जी को दूप देने के लिए इस मंत्र का प्रयोग करें:
"ॐ गं गणपतये नमः, धूपं समर्पयामि।"
१२. दीप (दीप मंत्र):
पूजा में दीपक को प्रज्वलित करने के लिए इस मंत्र का प्रयोग करें:
"ॐ गं गणेशाय नमः, दीपं समर्पयामि।"
१३. नैवेद्य (नैवेद्य मंत्र):
गणेश जी को नैवेद्य देने के लिए इस मंत्र का प्रयोग करें:
"ॐ गं गणपतये नमः, नैवेद्यं समर्पयामि।"
१४. ताम्बूल (ताम्बूल मंत्र):
गणेश जी को ताम्बूल (पान और सुपारी) देने के लिए इस मंत्र का प्रयोग करें:
"ॐ गं गणपतये नमः, ताम्बूलं समर्पयामि।"
१५. विसर्जन (विसर्जन मंत्र):
पूजा के अंत में गणेश जी को विसर्जन करने के लिए इस मंत्र का प्रयोग करें:
"ॐ गणेशाय नमः, विसर्जयामि।"
ये मंत्र गणेश पूजा के वैदिक मार्ग से आचरण के दौरान उपयोगी हो सकते हैं। पूजा के साथ ही भगवान गणेश के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।
महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी का उत्सव आपको भगवान गणेश के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा का अद्वितीय महसूस कराता है। यह एक मानवता और एकता के प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि लोग इसे मिलकर मनाते हैं। गणेश चतुर्थी 2023 के उत्सव के साथ, हम सभी को शुभकामनाएँ और गणपति बप्पा की आराधना करने का अवसर मिले।
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