अर्थागमो नित्यं अरोगिता च प्रिया च भार्या प्रिय वादिनी च।
वश्यश्च पुत्र: अर्थकरी च विद्या षड जीवलोकेषु सुखानी राजन।।
सुखी पुरुष के लक्षण
1. जिसके घर पर नित्य धनागमन(धन का आना) है।
2. जो नित्य ही अरोगी यानि स्वस्थ है।
3. जिसकी भार्या (पत्नी) प्रिय है।
4. और वह प्रियवादिनी (मधुर वचन) बोलने वाली है।
5 . जिसका पुत्र वश में (अनुशासन में) है।
6 . जिसके पास धन अर्जित करने के लिए आवश्यक विद्या अर्थात तकनीकी ज्ञान भी हो।
ऐसे 6 प्रकार के सुख जिसके पास है वही व्यक्ति इस संसार में सुखी है।
अपरं च
😲 नार्थगमो नित्यं रोगिता च अप्रिया च भार्या अप्रिय वादिनी च।
न वश्यश्च पुत्रः न अर्थकरी च विद्या षड जीवलोकेषु दुःखानि राजन।।
दुःखी पुरुष के लक्षण निम्न है:
1. जिसके घर पर नित्य धनाभाव (धन का अभाव) है।
2. जो नित्य ही रोगी यानि अस्वस्थ है।
3. जिसकी भार्या (पत्नी) अप्रिय है।
4. और वह अप्रियवादिनी (कर्कशा कर्कश स्वरा ) है।
5 . जिसका पुत्र वश में (अनुशासन में) नहीं है।
6 . जिसके पास धन अर्जित करने के लिए आवश्यक विद्या अर्थात तकनीकी ज्ञान भी न हो।
उपरोक्त 6 प्रकार के दुःख में से एक भी काफी है रुलाने के लिए लेकिन जिसके पास ये सभी के सभी है फिर उसके दुःख का क्या कहना।
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