9 जनवरी 2022, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के दिन, माननीय प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि 26 दिसम्बर को 'वीर बाल दिवस' के रूप में मनाया जाएगा, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के पुत्रों - साहिबजादा बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी की शहादत को याद करने के लिए।
श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के शिक्षाओं और उनके अनुयायियों के लिए 26 दिसम्बर को विशेष महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि इस दिन को 'वीर बाल दिवस' के रूप में स्वीकृति दी गई है। इस दिन से शुरू होकर हम श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और इन महान योद्धाओं की शौर्यगाथाओं को याद करते हैं जिन्होंने अपने धर्म और देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
वीर बाल दिवस का इतिहास:
वीर बाल दिवस का आयोजन श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के पुत्रों, साहिबजादा बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी की शहादत की स्मृति में हुआ है। इन दोनों ब्राव बालकों ने अपने पिताजी के उच्च आदर्शों और धर्म के प्रति पूर्ण समर्पण के साथ अपने प्राणों की आहुति दी।
साहिबजादा बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी का बचपन गुरुकुल में बीता और वहां उन्होंने धार्मिक शिक्षा और शस्त्रविद्या में माहिर होने का संघर्ष किया। उन्होंने जीवन को सत्य, न्याय, और धर्म के माध्यम से गुजारा और उनके विचारों ने लाखों लोगों को प्रेरित किया।
श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के पुत्रों का बलिदान:
वीर बाल दिवस का महत्वपूर्ण हिस्सा श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के पुत्रों के बलिदान की कहानी है, जो हमें एक महान शिक्षा देती है। इन ब्राव योद्धाओं ने अपने पिताजी के पथ पर चलते हुए अपने जीवन को बलिदान कर दिया।
साहिबजादा बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी का बलिदान इतना महत्वपूर्ण है क्योंकि वे अपने छोटे आयु में ही धर्म और देश के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया था। उन्होंने अपने पिताजी के सिखाए गए मूल्यों का पूरा समर्पण करते हुए योद्धा बनने का संकल्प किया और अपने प्राणों की आहुति दी।
वीर बाल दिवस का महत्व:
आदर्शों की पुनरावृत्ति: वीर बाल दिवस हमें श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के पुत्रों के आदर्शों की पुनरावृत्ति करने का मौका देता है। इन ब्राव योद्धाओं की शौर्यगाथाएं हमें उनके अद्भुत साहस और धर्मभक्ति की ओर प्रेरित करती हैं।
धर्म और न्याय के प्रति समर्पण: साहिबजादा बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी ने अपने जीवन को धर्म और न्याय के सेवन में समर्पित किया। उनका यह संदेश है कि हमें अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए धर्म और न्याय के प्रति समर्पित रहना चाहिए।
बच्चों को धरोहर मानने का आदान-प्रदान: वीर बाल दिवस के माध्यम से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपने बच्चों को इन महान योद्धाओं को देशभक्ति और धर्म के प्रति उनके समर्पण के साथ बच्चों के लिए एक आदर्श मानकर पालना चाहिए।
समाज में योगदान का आदान-प्रदान: इन योद्धाओं का बलिदान ने समाज में योगदान करने का उदाहरण प्रदान किया है। हमें इससे यह सिखने को मिलता है कि हमें भी समाज के लाभ के लिए अपना योगदान देना चाहिए।
धार्मिक एकता का संदेश: वीर बाल दिवस के माध्यम से हमें धार्मिक एकता का महत्वपूर्ण संदेश मिलता है। इन योद्धाओं ने अपने जीवन में धार्मिक सहयोग और सामंजस्य का आदान-प्रदान किया और हमें यह सिखाते हैं कि सभी धर्मों के अनुयायियों को एक साथ आना चाहिए।
वीर बाल दिवस के आयोजन का महत्व:
श्रद्धांजलि समारोह: वीर बाल दिवस का आयोजन एक श्रद्धांजलि समारोह के रूप में किया जाता है जिसमें लोग इन वीर योद्धाओं को नमन करते हैं और उनकी शौर्यगाथाओं को याद करते हैं।
धार्मिक प्रवचन और कविता पाठ: इस दिन धार्मिक प्रवचन और कविता पाठ का आयोजन किया जाता है जिससे लोग इन योद्धाओं के बलिदान को समझते हैं और उनके उदाहरण से प्रेरित होते हैं
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