भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन नगर में स्थित है1। यह मंदिर भगवान शिव के प्रमुख मंदिरों में से एक है और पुराणों, महाभारत, और कालिदास जैसे महाकवियों की रचनाओं में इसका मनोहर वर्णन मिलता है।
महाकालेश्वर मंदिर की महत्ता:
- इस मंदिर को स्वयंभू, भव्य, और दक्षिणमुखी होने के कारण अत्यन्त पुण्यदायी माना जाता है।
- यहां के दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है, ऐसी मान्यता है।
- महाकवि कालिदास ने अपनी काव्यरचना मेघदूत में उज्जयिनी की चर्चा करते हुए इस मंदिर की प्रशंसा की है1।
मंदिर की विशेषताएँ:
- मंदिर का शिखर आकाश में चढ़ता है और अपनी भव्यता के साथ आदिकालीन विस्मय और श्रद्धा को उजागर करता है।
- गर्भगृह में ओंकारेश्वर शिव की मूर्ति प्रतिष्ठित है, और उत्तर, पश्चिम, और पूर्व में गणेश, पार्वती, और कार्तिकेय के चित्र स्थापित हैं।
- दक्षिण में नंदी की प्रतिमा है।
महाशिवरात्रि के दिन, मंदिर के पास एक विशाल मेला लगता है और रात में पूजा होती है2।
यह भगवान शिव के प्रमुख मंदिरों में से एक है। इसका शिखर आकाश में चढ़ता है और अपनी भव्यता के साथ आदिकालीन विस्मय और श्रद्धा को उजागर करता है। इस मंदिर की महत्ता इस बात से प्रमाणित होती है कि यह मंदिर स्वयंभू, भव्य, और दक्षिणमुखी होने के कारण अत्यन्त पुण्यदायी माना जाता है।
महाकवि कालिदास ने अपनी काव्यरचना मेघदूत में उज्जयिनी की चर्चा करते हुए इस मंदिर की प्रशंसा की है। इसके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है, ऐसी मान्यता है।
मंदिर के गर्भगृह में ओंकारेश्वर शिव की मूर्ति प्रतिष्ठित है, और उत्तर, पश्चिम, और पूर्व में गणेश, पार्वती, और कार्तिकेय के चित्र स्थापित हैं। दक्षिण में नंदी की प्रतिमा है।
महाशिवरात्रि के दिन, मंदिर के पास एक विशाल मेला लगता है और रात में पूजा होती है।
इस मंदिर के दर्शन करने से हम अपने जीवन को धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी समृद्ध कर सकते हैं।
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