भगवान परशुराम जयंती 10 मई : धर्म और न्याय के प्रतीक - 21 बार क्षत्रियों का विनाश क्यों किया?

भगवान परशुराम भारतीय पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण चरित्र हैं। वे भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं और उनका जन्म त्रेता युग में हुआ था। परशुराम का नाम स्थूलकाय, परशुहास्त, रामभद्र, जामदग्न्य, भार्गव, रामवत, रामपदी, अक्तिवर्मा, और महाभद्र आदि से भी जाना जाता है।




यहां कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जो हमें भगवान परशुराम के बारे में जाननी चाहिए:


  • जन्म स्थान: उनका जन्म मध्य प्रदेश के जानापाव पर्वत में हुआ था।3
  • गुरु: भगवान परशुराम के गुरु भगवान शिव थे।4
  • ब्राह्मण वंश: उन्हें भगवान विष्णु के आवेशावतार माना जाता है, लेकिन उनके जन्म समय सतयुग और त्रेता का संधिकाल माना जाता है।1
  • क्षत्रियों का विनाश: भगवान परशुराम ने तत्कालीन अत्याचारी और निरंकुश क्षत्रियों का 21 बार संहार किया। उन्होंने अपने क्रोध के चलते धरती को क्षत्रिय विहीन कर दिया था।

परशुराम जी अमर कैसे हैं ?




सन्दर्भ १ 

हिंदू पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान शिव ने पृथ्वी पर अपना मिशन पूरा करने के बाद परशुराम को अमरत्व का वरदान दिया था. परशुराम को श्री हरि भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है. उनका जन्म वैशाख शुक्ल तृतीया को हुआ था, जिसे आज अक्षय तृतीया भी कहा जाता है. 

सन्दर्भ २ 

परशुराम को अमरत्व का वरदान देने के अलावा, भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें एक फरसा भी दिया था. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, परशुराम ने इसी फरसे से अरावली के बीच बने परशुराम महादेव मंदिर की एक बड़ी चट्टान को काटकर बनाया था. 

सन्दर्भ ३ 

भगवान राम ने परशुराम को अमर रहने का वरदान दिया था और साथ ही यह ज़िम्मेदारी भी सौंपी थी कि वह उनके अगले अवतार होने तक उनका सुदर्शन चक्र संभालकर रखें.

सन्दर्भ ४ 

ऋषि जमदग्नि ने अपने बेटे परशुराम को मां को पुनर्जीवित करने की समझदारी और और अपने आदेश की आज्ञाकारिता दिखाने के लिए अमर रहने का वरदान दिया था.

अपरञ्च 

परशुराम को श्री हरि भगवान विष्णु का छठा अवतार कहा जाता है. इन्हें अमरत्व का वरदान प्राप्त है. इनका जन्म वैशाख शुक्ल तृतीया को हुआ था, जिसे आज अक्षय तृतीया भी कहा जाता है. शिवजी ने इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर इन्हें एक फरसा दिया था, जिसे ये हमेशा अपने साथ रखते हैं. "


परशुराम के गुरु कौन कौन थे? जिनसे इन्होने शास्त्र और शस्त्र की शिक्षा ली थी ?


भगवान परशुराम को शास्त्रों की शिक्षा दादा ऋचीक, पिता जमदग्नि तथा शस्त्र चलाने की शिक्षा अपने पिता के मामा राजर्षि विश्वमित्र और भगवान शंकर से प्राप्त हुई। उन्होंने महर्षि विश्वामित्र एवं ऋचीक के आश्रम में शिक्षा प्राप्त की।

भगवान परशुराम को अनेक प्रकार के शस्त्र मिले थे, जो उन्हें एक अत्यधिक शक्तिशाली योद्धा बनाते थे। इन शस्त्रों में कुछ प्रमुख शस्त्र निम्नलिखित हैं:


अक्षय धनुः (Akshay Dhanush): भगवान परशुराम को अक्षय धनुः प्राप्त हुआ था, जिसका उपयोग उन्होंने धनुर्विद्या में किया।

अक्षय पाश (Akshay Paash): यह शस्त्र अद्वितीय शक्तिशाली था और उसका उपयोग युद्ध में किया जाता था।

सुदर्शन चक्र (Sudarshan Chakra): भगवान परशुराम ने भगवान श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र प्रदान किया था।

भारवटी शक्ति (Bhargavi Shakti): यह शक्ति उन्हें अत्यधिक शक्तिशाली बनाती थी और उन्होंने इसका उपयोग युद्ध में किया।

विजय: यह तीर उनके धनुष में स्थापित था और युद्ध में अत्यधिक प्रभावशाली था।

विष्णुकवच: यह एक रक्षात्मक कवच था जो उन्हें शक्तिशाली बनाता था और उन्हें दुश्मनों की शक्ति से सुरक्षित रखता था।

ब्रह्मदंड: यह एक प्रकार का शक्तिशाली डंडा था जो उनके द्वारा विशेष शक्ति और आध्यात्मिक शक्ति को दर्शाता था।

पाशुपतास्त्र: यह एक विशेष शस्त्र था जो उन्हें भगवान शिव से प्राप्त हुआ था और जिसका उपयोग विशेष रूप से युद्ध में किया जाता था।

परसा : परसा इनका प्रमुख अस्त्र था जो इनका पहचान भी बना। इनके यह अस्त्र भगवान शिव ने प्रसन्न होकर दिए थे। इसी परसे  इन्होने दुष्ट सहस्रबाहु के चारों दुष्ट पुत्रों का सिर काटा था तथा उसके भी हजार भुजाओं को एक एक कर काटा था। 

भगवान प रशुराम ने अस्त्रों और शस्त्रों का उपयोग अत्यधिक धैर्य और योग्यता के साथ किया और धरती को अत्याचारी क्षत्रियों से मुक्ति दिलाई। 


परशुराम कौन से ब्राह्मण थे?

परशुराम भार्गव ब्राह्मण थे, जो क्षत्रिय कुल में जन्मे माता रेणुका की छोटी संतान थे। उनके पिता का नाम जामदग्नि और माता का नाम रेणुका था। अर्थात इनके पिता ब्राह्मण ऋषि तथा माता क्षत्रिय थीं। 


परशुराम जी ने 21 बार क्षत्रियों का विनाश क्यों किया?


परशुराम जब अपने माँ रेणुका को अपने पिता के मृत शरीर को देखकर विलाप करते हुए देखे तो उन्हें बहुत दुःख हुआ। उनकी माँ ने २१  बार आपने छाती पर प्रहार कर रुदन किया था। अतः परशुराम ने ठान लिया की जबतक २१ बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन नहीं कर दूँगा चैन से नहीं रहूँगा। परशुराम ने क्षत्रियों का विनाश किया था क्योंकि वे अधर्म और अत्याचार के प्रति प्रतिष्ठित थे और उन्होंने ब्राह्मणों और ऋषियों के ऊपर अत्याचार किया था उनके आश्रम जला डाले थे । दुष्ट सहस्रबाहु को लगने लगा था कि आश्रम के ऋषि  आचार्य उससे अधिक शक्तिशाली हैं और भविष्य में उसके लिए चुनौती प्रतिद्वंदी बन सकते हैं। इसके अलावा, उनके पिता की हत्या और माता की अपमान के कारण भी उन्होंने क्षत्रिय समुदाय के खिलाफ युद्ध शुरू किया था।


परशुराम जयंती १० मई 2024 की हार्दिक शुभकामनाएं

परशुराम जयंती 2024 की हार्दिक शुभकामनाएं। इस अवसर पर हम सभी को परशुराम जी के तप, त्याग, और धर्म की प्रेरणा लेनी चाहिए। उनकी कथाएं हमें धर्म, न्याय, और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरित करती हैं।


इस प्रकार, भगवान परशुराम एक महान और उत्कृष्ट पौराणिक चरित्र हैं, जिनका जीवन हमें धर्म और न्याय के महत्व को समझाता है। उनकी कथाएं हमें साहस, त्याग, और संकल्प की शक्ति से प्रेरित करती हैं। इसलिए, उनकी जयंती पर हमें उनकी पूजा और स्मरण करना चाहिए, ताकि हम भी उनके धर्म के मार्ग पर चल सकें।

परामर्श :

परशुराम को आज भी सभी क्षत्रिय अपने दुश्मन मानते हैं। यह अच्छी बात नहीं है ऐसा करना भगवान से बैर करना है ।  ठीक  इसीप्रकार रावण को ब्राह्मण मानना ब्राह्मणों के लिए उचित नहीं है। आतंकी अत्याचारी  धार्मिक दृष्टि से त्याज्य हैं।  

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ