मिलावट केवल शारीरिक स्वास्थ्य को हानि पहुँचाने वाला अपराध नहीं है, बल्कि यह हिन्दुओं के लोक और परलोक दोनों को प्रभावित करता है। हिन्दू सनातन वैदिक परंपराओं का पालन करते हैं, जिसमें पुनर्जन्म, देवता, पितर, ग्रह, यज्ञ, पूजन और व्रत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन परंपराओं के माध्यम से हिन्दू धर्म जीवन और मृत्यु के बाद की यात्रा को लेकर गहन विश्वास रखता है।
विधर्मी, जो सनातन धर्म के गूढ़ सिद्धांतों से अनभिज्ञ होते हैं, इन बातों का महत्व नहीं समझ पाते। वे अपने जीवन में बिना किसी धार्मिक मर्यादा के कुछ भी ग्रहण करते हैं और बिना किसी आत्मिक दिशा के अपना जीवन व्यतीत करते हैं। इसलिए, हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए यह आवश्यक है कि वे विधर्मियों से दूरी बनाए रखें, विशेषकर धार्मिक कार्यों और उत्सवों के दौरान। किसी धार्मिक स्थल या घर में विधर्मियों का निषेध करना एक प्रकार से धार्मिक शुद्धता की रक्षा करना है।
हिन्दुओं के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे यज्ञ, पूजन, और व्रत आदि कार्यों में विधर्मियों की उपस्थिति से बचें। विधर्मी हजाम या दुकानदार से कोई भी सेवा लेना अनुचित है, क्योंकि यह धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से गलत माना जाता है। जब हिन्दू अपने जीवन के धार्मिक कार्यों में शुद्धता का पालन करते हैं, तो उनके देवता, पितर प्रसन्न रहते हैं, ग्रह शांति बनी रहती है, और जीवन सुखी होता है।
अतः मिलावट और विधर्मियों से दूरी बनाए रखना न केवल स्वास्थ्य बल्कि धार्मिक शुद्धता और आत्मिक शांति के लिए भी अत्यावश्यक है।
लेखन्या --रत्नेश उपाध्याय --
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