गाँव में मोहन नाम के एक लड़का रहत रहल। मोहन बहुत चतुर और चालाक रहल। एक दिन, ऊ जंगल में खेलते-खेलते एक जादुई बाग के बारे में सुनलस। लोग कहत रहलन कि ऊ बाग में जाने वाला के हर इच्छा पूरी हो जाला।
मोहन के मन में सोचना आइल कि ऊ ओ बाग में जाई और अपनी सबसे बड़ी इच्छा, अमीर बन के जीना, पूरी करी। ऊ जंगल के रास्ता पकड़ के चल पड़ल। बहुत समय बाद, ऊ जादुई बाग तक पहुँचल। बाग के भीतर हर रंग-बिरंगे फूल खिला रहलन और एक चमकदार तालाब के पानी झिलमिला रहल।
मोहन तालाब के पास पहुँचल और अपना इच्छा बतावल। ऊ बोला, "हे जादुई बाग, हम चाही कि हम दुनिया के सबसे अमीर आदमी बन जाईं।" एक दम से तालाब के पानी में लहर चलल और एक परी प्रकट भइली। परी बोली, "तहार इच्छा पूरी हो जाई, लेकिन ध्यान रख, ई धन तहार खुशियों के ना ले जाई।"
मोहन खुशी-खुशी घर लौटल। कुछ दिन में, ऊ सच में बहुत अमीर हो गइल। ऊ नई गाड़ी, बड़ा घर, सब कुछ खरीद लिहल। लेकिन जल्दी ही ऊ एह बात के महसूस कइलस कि धन के साथ-साथ सच्चे दोस्त और खुशी कहीं खो गइल।
एक दिन, मोहन सोचे लागल कि धन से खुशी ना मिलल। ऊ फेर से जादुई बाग में वापस गइल। ऊ परी से मिलके कहलस, "हम चाही कि हम अपना पुराने जीवन में लौट जाईं, जहाँ दोस्ती और खुशी के महत्व समझ में आइल।"
परी मुस्कुराते हुए बोली, "तू समझ गइलऽs।" तालाब के पानी में फिर से लहर चलल, और मोहन फिर से गरीब लेकिन खुशहाल जीवन में लौट आइल। ऊ अब सच्चे दोस्त बनावे पर ध्यान देने लागल।
सिख: असली खुशी धन में ना, बल्कि सच्ची दोस्ती और संबंध में होखेला।
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