🔹 एक मौलिक प्रश्न:
अगर एक राजनेता जेल में बैठकर चुनाव लड़ सकता है, तो एक विचाराधीन या सामान्य कैदी वोट क्यों नहीं दे सकता?
🔍 वर्तमान कानून क्या कहता है?
भारतीय जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 62(5) के अनुसार:
> "जो व्यक्ति जेल में बंद है (चाहे दोषी या विचाराधीन), वह चुनाव में वोट नहीं डाल सकता।"
यहां केवल एक अपवाद है — जो व्यक्ति जेल में नहीं है, लेकिन बेल पर है, वह वोट दे सकता है।
🔹 नेता जी चुनाव कैसे लड़ सकते हैं?
जब तक किसी व्यक्ति को दो साल से अधिक की सजा नहीं होती, वह चुनाव लड़ सकता है।
कई नेता विचाराधीन मामलों में जेल में रहते हुए भी चुनाव लड़ लेते हैं, क्योंकि उन पर अंतिम सजा नहीं हुई होती।
🏛️ क्या यह लोकतंत्र के साथ अन्याय नहीं है?
वोट देना एक अधिकार है। अगर कोई व्यक्ति दोषी साबित नहीं हुआ है, तो उसे यह अधिकार क्यों नहीं मिलना चाहिए?
दुनिया के कई लोकतंत्र जैसे कनाडा, नॉर्वे, दक्षिण अफ्रीका, आदि में कैदियों को भी वोट देने का अधिकार दिया गया है, जिससे उनका लोकतंत्र और अधिक समावेशी बनता है।
📢 अब वक्त है बदलाव का:
विचाराधीन कैदियों को वोट देने की अनुमति मिलनी चाहिए।
चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट को इस विषय पर पुनर्विचार करना चाहिए।
भारत जैसे परिपक्व लोकतंत्र में यह असमानता अब समाप्त होनी चाहिए।
🔚 निष्कर्ष:
नेता चुनाव लड़ सकते हैं, तो नागरिक वोट क्यों नहीं दे सकते?
लोकतंत्र का आधार है – समानता, और इस सिद्धांत की रक्षा हम सबकी जिम्मेदारी है।
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