कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पिछले कई वर्षों में भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कई गंभीर आरोप लगाए। लेकिन ज़्यादातर मामलों में या तो आरोप अदालत में टिक नहीं पाए, या वे अपने बयानों पर माफी मांगने के लिए मजबूर हुए।
1. "सभी चोरों का सरनेम मोदी" वाला बयान
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2019 के चुनाव प्रचार में राहुल ने कहा—"सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?"
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इस बयान पर मानहानि का केस हुआ और 2023 में उन्हें 2 साल की सजा सुनाई गई।
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वे फिलहाल जमानत पर हैं और अपील कर रहे हैं।
2. "चौकीदार चोर है" नारा
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राफेल सौदे में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए उन्होंने यह नारा दिया।
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सुप्रीम कोर्ट का नाम इसमें घसीटने पर कोर्ट ने नोटिस भेजा।
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राहुल को अदालत में बिना शर्त माफी मांगनी पड़ी।
3. सहारा रिश्वत आरोप
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2016 में दावा किया कि गुजरात के सीएम रहते मोदी को सहारा ग्रुप से रिश्वत मिली।
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सुप्रीम कोर्ट ने सबूत को "झूठे हवाला कागज" कहकर खारिज किया।
4. राफेल और इलेक्टोरल बॉन्ड घोटाला आरोप
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2017–18 में राफेल में दाम बढ़ाने और उद्योगपतियों को फायदा पहुँचाने के आरोप लगाए।
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2024 में इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर भाजपा पर "रिश्वत के लिए सिस्टम" बनाने का आरोप लगाया।
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कोई ठोस सबूत अदालत में पेश नहीं कर पाए।
5. फर्जी वोटर और चुनाव हेरफेर के दावे
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2024 लोकसभा चुनाव में 100 सीटों पर धांधली का आरोप लगाया।
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कर्नाटक में 1 लाख फर्जी वोटरों का दावा किया, जिस पर चुनाव आयोग ने सबूत मांगे।
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अगस्त 2025 में आदिवासी और बहुजन वोटरों के नाम काटने और ज़मीन के कागज़ गायब करने का आरोप लगाया।
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विरोध-प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार भी हुए।
6. "Narender... surrender" वाला आरोप
जून 2025 में राहुल गांधी ने दावा किया कि अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा—“Narender, surrender।” उनके अनुसार, पीएम ने तुरंत "yes, sir" कहकर आगे के निर्देशों का पालन किया।
भारत सरकार ने स्पष्ट किया कि युद्धविराम एक द्विपक्षीय निर्णय था और इसमें अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी। प्रधानमंत्री के भाषणों या आधिकारिक दस्तावेजों में “surrender” जैसा कोई संकेत नहीं मिला। इस कारण यह आरोप कहीं से भी पुष्ट नहीं होता।
भाजपा नेताओं ने कड़ा विरोध जताया। जे. पी. नड्डा ने कहा कि "भारत कभी surrender नहीं करता" और सुधांशु त्रिवेदी ने टिप्पणी की कि पाकिस्तान का सेना प्रमुख भी ऐसी बात नहीं कहता। वहीं, कुछ विपक्षी नेताओं ने भी माना कि राष्ट्रीय हित में ऐसे विवादों से बचना चाहिए।
यह "Narender... surrender" वाला आरोप न केवल पुष्टि रहित था, बल्कि इस पर कई वरिष्ठ नेताओं और सरकारी संस्थानों ने आपत्ति जताई। इसलिए इसे एक झूठा और भ्रामक राजनीतिक दावा माना जा सकता है।
निष्कर्ष
राहुल गांधी ने बार-बार भाजपा और मोदी पर गंभीर आरोप लगाए—लेकिन अब तक ज़्यादातर या तो सबूत के अभाव में ख़ारिज हो गए या उन्हें सार्वजनिक माफी मांगनी पड़ी।
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