प्राचीन भारत की शिक्षा–व्यवस्था संसार की सबसे विकसित और समृद्ध प्रणालियों में से एक थी। गुरुकुल से लेकर तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला तक — हर स्तर पर शिक्षा का लक्ष्य था संपूर्ण मानव का निर्माण, जिसमें आध्यात्मिकता, विज्ञान, कला और व्यवहार–ज्ञान सब शामिल थे।
इसी शिक्षा प्रणाली की नींव शास्त्रों और विद्याओं पर टिकी थी।
बहुत-से लोग पूछते हैं —
“आखिर प्राचीन भारत में कितने शास्त्र पढ़ाए जाते थे?”
इस प्रश्न का सबसे प्रमाणिक उत्तर है — 14 विद्याएँ, जिन्हें चतुर्दश विद्या कहा गया है।
⭐ 1. चतुर्दश (14) विद्याएँ — प्राचीन भारत की मुख्य शिक्षा
इन 14 विद्याओं को तीन भागों में बांटा गया है:
(1) चार वेद
वेद भारतीय ज्ञान–परंपरा की जड़ हैं।
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ऋग्वेद – मंत्र व सूक्त
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यजुर्वेद – यज्ञ–विधि
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सामवेद – संगीत-प्रधान मंत्र
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अथर्ववेद – चिकित्सा, वास्तु, नीति
(2) छह वेदांग
वेदों को समझने के लिए आवश्यक सहायक विज्ञान:
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शिक्षा – उच्चारण विज्ञान
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कल्प – अनुष्ठान व कर्मकांड
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व्याकरण – भाषा का विज्ञान
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निरुक्त – शब्दों की उत्पत्ति
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छन्द – छंद–शास्त्र
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ज्योतिष – गणित व खगोल विज्ञान
(3) चार उपांग / शास्त्र
ये वेदों व वेदांगों के साथ पढ़ाए जाने वाले तर्क व दर्शन–आधारित शास्त्र थे:
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मीमांसा
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न्याय
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धर्मशास्त्र
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पुराण
इन्हीं को मिलाकर शिक्षा की मुख्य संरचना बनती है:
4 वेद + 6 वेदांग + 4 उपांग = 14 विद्याएँ
⭐ 2. उपवेद (चार विशेष विद्याएँ)
इनका उल्लेख भी शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण माना गया:
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आयुर्वेद – चिकित्सा
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धनुर्वेद – युद्ध व अस्त्र–शास्त्र
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गंधर्ववेद – संगीत–नृत्य
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स्थापत्यवेद – वास्तुकला
⭐ 3. षड्दर्शन — भारत की दार्शनिक नींव
भारतीय दर्शन को 6 प्रमुख दर्शनों में विभाजित किया गया, जिन्हें अलग से पढ़ाया जाता था:
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सांख्य
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योग
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न्याय
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वैशेषिक
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मीमांसा
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वेदान्त
ये मानव जीवन, प्रकृति और ब्रह्मांड को समझने की वैज्ञानिक पद्धति प्रस्तुत करते थे।
⭐ 4. क्या कभी 18 शास्त्र भी पढ़ाए जाते थे?
हाँ। कई परंपराओं में शास्त्रों की संख्या 14 से बढ़कर 18 गिनी गई है। इनमें उपवेद, नीति-शास्त्र, अर्थशास्त्र, कृषि, वास्तु आदि जोड़े जाते हैं।
लेकिन सर्वाधिक मान्य और प्रामाणिक संख्या 14 विद्याएँ ही मानी जाती हैं।
⭐ निष्कर्ष
प्राचीन भारत में शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान नहीं थी, बल्कि जीवन को पूर्ण बनाने वाली प्रणाली थी।
इसका आधार था—
चार वेद, छह वेदांग और चार उपांग — कुल 14 शास्त्र।
इन्हीं पर भारत का विज्ञान, दर्शन, गणित, संगीत, चिकित्सा और अध्यात्म टिका रहा।
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