प्रकृति का दोहन - पर्यावरण संरक्षण - पर्यावरण प्रदूषण - paryavaran sanrakshan


 

क्षिति, जल, पावक, गगन, समीर ये पंच महाभूत हैं जो जड़ चेतन किसी भी जीव के आस्तित्व के लिए आवश्यक हैं। सृष्टि के आदि में मनुष्य को क्षिति यानि धरती खरीदने की जरुरत न पड़ी होगी। समय के साथ साथ भूभाग की क्रय विक्रय की प्रक्रिया आरम्भ हुई. ऐसे ही बहुत दिन बीतने के बाद जल भी दुकानों में विक्री के लिए सजाया जाने लगा... आज हमलोग better AQI के लिए ऑफिस में air purifier लगा कर बैठे है. प्रकृति का दोहन मनुष्य को कितना विवश किया है आगे न जाने क्या क्या क्रय करना पड़े। इसलिए सावधान! सावधान! सावधान! साव
धान!


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