सेवितव्यो महावृक्ष: फ़लच्छाया समन्वित: - sevitavyo mahavrikshah fal chhaya samaniwatih



 सेवितव्यो महावृक्ष: फ़लच्छाया समन्वित:।
 यदि देवाद फलं नास्ति,छाया केन निवार्यते।।



अर्थात 

फल और छाया से युक्त फलदार वृक्ष की सेवा करनी चाहिए और उसकी शरण में रहनी चाहिए। यदि संयोग वश कभी पेड़ में फल नहीं लगा है तब भी उसके अमृत मयी छाँव से ग्रीष्म आतप  बचा जा सकता है। 

भावार्थ 

इसीतरह हमें महापुरुषों के संगती में रहनी चाहिए सद्गुरु के शरण में रहना चाहिए। किसी क्षण आपको लगेगा गुरु और महात्मा आपको कोई ज्ञान नहीं  दे रहे हैं तब भी वो आपको अपने सदाचरणों के छाँव से संसार के विकृतियों से बचाये रखते हैं। 

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