भारत में ब्रेन ड्रेन (Brain Drain) वह प्रक्रिया है जिसमें देश के उच्च शिक्षित, कुशल और प्रतिभाशाली लोग बेहतर अवसरों, आर्थिक लाभ या जीवन शैली के कारण विदेशों में स्थायी रूप से चले जाते हैं। यह समस्या सिर्फ आर्थिक दृष्टि से नहीं, बल्कि सामाजिक और वैज्ञानिक प्रगति के दृष्टिकोण से भी चिंता का विषय है। सवाल उठता है कि आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन है – सरकार, संविधान के आरक्षण और नीतियां, या व्यक्ति की अपनी प्राथमिकता?
1. सरकार की भूमिका और जिम्मेदारी
सरकार के पास देश में प्रतिभा को रोकने और उनका उपयोग करने की मुख्य जिम्मेदारी है। इसके अंतर्गत आते हैं:
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शिक्षा और अनुसंधान में निवेश की कमी
भारत में उच्च शिक्षा संस्थान जैसे IITs, IIMs और रिसर्च सेंटर अच्छे हैं, लेकिन इनके अलावा अनुसंधान और नवाचार के लिए वित्तीय समर्थन अक्सर अपर्याप्त रहता है। इसका परिणाम यह होता है कि प्रतिभाशाली युवा विदेशों में बेहतर संसाधनों और शोध अवसरों की तलाश में चले जाते हैं। -
रोजगार और उद्योग में अवसरों की कमी
कई विशेषज्ञ क्षेत्र जैसे IT, स्वास्थ्य विज्ञान, इंजीनियरिंग में देश में नौकरी के अवसर सीमित होते हैं या उन्हें सरकारी नियमों और नौकरशाही की बाधाओं का सामना करना पड़ता है। -
नीतियों में स्पष्टता की कमी
सरकार द्वारा बनाए गए कुछ नियम और कानून जैसे कॉर्पोरेट टैक्स, स्टार्टअप नियम, शोध अनुदान, आदि, यदि आसान और स्पष्ट नहीं होते, तो युवा प्रतिभा को विदेश में बेहतर विकल्प दिखाई देता है।
सरकार की यह भूमिका स्पष्ट करती है कि ब्रेन ड्रेन के लिए राष्ट्रीय नीतियां और निवेश की कमी एक बड़ा कारण है।
2. संविधान का आरक्षण और सामाजिक संरचनाएं
भारत का संविधान कुछ वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान करता है। इसका उद्देश्य सामाजिक न्याय और पिछड़े वर्गों का उत्थान है। लेकिन इसके चलते कुछ मतभेद और गलत धारणाएं भी बनती हैं:
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प्रतिभा बनाम आरक्षण
कुछ लोगों का मानना है कि आरक्षण से ‘प्रतिभा आधारित अवसरों’ में कमी आती है, और मेधावी छात्र और विशेषज्ञ उचित सम्मान और अवसर नहीं पाते।
हालांकि यह एक आंशिक दृष्टिकोण है, क्योंकि आरक्षण का उद्देश्य असमान अवसरों को बराबर करना है। -
मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभाव
कभी-कभी प्रतिभाशाली युवा यह अनुभव करते हैं कि उनकी मेहनत और योग्यता की कद्र कम होती है। इससे वे अधिक प्रतिस्पर्धात्मक और सम्मानजनक वातावरण के लिए विदेशों की ओर रुख करते हैं।
संविधान और सामाजिक नीतियां सीधे तौर पर ब्रेन ड्रेन की वजह नहीं हैं, लेकिन अप्रत्याशित प्रभाव जरूर डाल सकती हैं।
3. व्यक्ति की अपनी पसंद और महत्वाकांक्षा
आखिरी और सबसे व्यक्तिगत कारण है व्यक्ति की प्राथमिकता और महत्वाकांक्षा। आधुनिक युवा निम्नलिखित कारणों से विदेश जाने का निर्णय लेते हैं:
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बेहतर आर्थिक अवसर
विदेश में उच्च वेतन, बेहतर करियर ग्रोथ और वित्तीय स्थिरता की संभावना अधिक होती है। -
संसाधनों और तकनीक तक पहुंच
उच्च शिक्षा, शोध और तकनीकी संसाधनों तक आसान पहुंच के लिए युवा विदेश की ओर आकर्षित होते हैं। -
जीवन शैली और सामाजिक सुरक्षा
बेहतर जीवन स्तर, स्वास्थ्य सुविधाएं, सुरक्षित समाज और पारिवारिक भलाई के लिए लोग अपनी मातृभूमि छोड़ते हैं।
व्यक्ति की पसंद व्यक्तिगत स्वतंत्रता और महत्वाकांक्षा से प्रेरित होती है। यह किसी नीतिगत गलती का परिणाम नहीं, बल्कि व्यक्तिगत निर्णय है।
4. निष्कर्ष: जिम्मेदारी का संतुलन
ब्रेन ड्रेन के लिए एक जिम्मेदार पक्ष नहीं बल्कि तीनों कारकों का मिश्रण जिम्मेदार है:
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सरकार: नीतियों, निवेश और अवसरों की कमी।
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संविधान और सामाजिक संरचना: आरक्षण और सामाजिक असमानताओं के अप्रत्याशित प्रभाव।
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व्यक्ति की पसंद: व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा, करियर और जीवन शैली की प्राथमिकता।
समाधान भी इसी संतुलन में निहित है। भारत को चाहिए कि वह:
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उच्च शिक्षा और अनुसंधान पर निवेश बढ़ाए।
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उद्यमिता और उद्योग के अवसर अधिक बनाए।
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सामाजिक न्याय और आरक्षण की व्यवस्था को सुधार और पारदर्शी बनाए।
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प्रतिभा को सम्मान, अवसर और सुरक्षा दे, ताकि व्यक्ति देश में रहकर भी अपने सपनों को साकार कर सके।
ब्रेन ड्रेन केवल “बाहरी पलायन” नहीं, बल्कि यह संकेत भी है कि देश में प्रतिभा को सही दिशा और अवसर नहीं मिल रहे। जब सरकार, समाज और व्यक्ति संतुलन बनाएंगे, तभी यह समस्या कम होगी।
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