शीघ्र सफलता पाने की चाह नहीं रखनी चाहिए - गायत्री मंत्र की शक्ति

एक बार की बात है ।  अधीर नाम का  एक  व्यक्ति अपनी समस्या लेकर किसी संत के पास गया। उसने उनसे अपनी सारी समस्याएं बतायी।


संत ने=> उस व्यक्ति को कुछ उपाय सुझाये और 1 मंत्र दिया। यह गायत्री मंत्र था। नियमानुसार स्नानोपरांत इस मंत्र का जाप करना था।

कुछ दिन ऐसे ही बीत गए। उस व्यक्ति को कुछ लाभ अनुभव नहीं हो रहा था। उसका इस मंत्र से विश्वास उठने लगा। 

शीघ्र सिद्धि देने वाला मंत्र 

अधीर=>  के एक दोस्त ने उसे कहा कि वह एक अघोरी को जानता हूं। अघोरी जो मंत्र देता है तुम उसे 2 दिन तक जपो। 2 दिन के अंदर ही तुम्हें उसका फल मिलेगा। अधीर ने ऐसा ही किया और उस अघोरी के मंत्र का जाप करने लगा। 2 दिन के अंदर ही उसे फल स्वरूप एक प्रेत मिला। प्रेत ने कहा आज से आप मेरे स्वामि हैं और मैं आपका दास हूँ। आप जो मुझे कहेंगे मैं वही करूंगा आप जो मांगेंगे शो ला कर दूंगा।


गायत्री मंत्र की शक्ति 


अधीर ने कहा=> तुम कौन बोल रहे हो मेरे सामने तो आओ। 

प्रेत ने कहा=> मैं आपके 100 मीटर दूर से आपसे बात कर रहा हूं। मैं अगर एक कदम भी आगे बढ़ा तो जलकर भस्म हो जाऊंगा। आपके गायत्री मंत्र जाप के प्रभाव से आपके चारो तरफ एक विशाल सुरक्षा कवच का निर्माण हो गया है, जिसमें  प्रेत पिशाच आदि  का प्रवेश असंभव है। 

प्रेत के मुख से यह सुनकर अधीर चौक गया। जिस गायत्री मंत्र का वह जाप कर रहा था उस गायत्री मंत्र के शक्ति से एक प्रेत भी उससे 100 मीटर दूर से ही बात कर सकता है। अगर एक पग भी आगे बढ़ा तो जलकर भस्म हो जाएगा। 

अधीर ने प्रेत को विदा किया और कहा मुझे तुमसे कुछ नहीं चाहिए।  मुझे  तुमसे जो चाहिए था वो मिल गया। तुमने मुझे गायत्री मंत्र की शक्ति का बोध करा दिया।  


इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है ?

इस कहानी से निम्न शिक्षा मिलती है ---

शीघ्र सफलता पाने की चाह नहीं रखनी चाहिए। सफलता के शिखर पर सोपान चढ़कर जाना हीं  श्रेयस्कर है। 


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