रोहन नाम के एक व्यापारी ने बहुत उधार ले रखा था। उसने इस उधारी से छुटकारा पाने के लिए एक उपाय सोचा। उसने अपने नौकर से कहा की जब कोई मेरे बारे में पूछे तो बता देना की वह मर चूका है।
ऐसा कह कर वो दूसरे शहर को चला गया। नौकर ने लोगों से वही बात दोहरायी। पर लोग जानते थे कि रोहन मरा नहीं है। उधर रोहन जा रहा था कि उसे अजीब अजीब आवाजें आने लगी पर वह आगे चलते गया। रास्ते में उसे एक साधु बाबा मिले। वह बोले ! आगे मत जाओ सुमेश का भूत तुम्हे मार देगा। सुमेश बहुत अच्छा कवि था जिसकी असमय मौत हो गयी और वह भूत बन गया। वह अब भी कविता सुनाते रहता है। जो कोई कविता का अर्थ नहीं बताता उसे मार देता है। रोहन कविता सुनने में रूचि रखता था अतः साधू की बात को अनसुना करके आगे चला गया।
भूत से सामना
आगे उसे एक टूटी हवेली दिखी। उसने सोचा आज रात यहीं रुक जाता हूँ कल आगे चलूँगा। वह अंदर जाकर पुरानी हवेली में सो गया। थोड़ी देर बाद वहाँ सुमेश का भूत आकर बोलै।
आज एक आया है कल नहीं आएगा।
आज पेट भर लूँ बड़ा मजा आएगा। ।
उसके बाद सुमेश के भूत ने कई कविताएँ सुनाए जिसका रोहन अर्थ नहीं बता पाया।
रोहन काँप उठा फिर उसने सोचा मरना तो है ही बस एक बार दिमाग का सही उपयोग करके देखता हूँ। संभव है बच जाऊं।
तावद् भयस्य भेतव्यं यावद् भयम् अनागतम् ।
आगतं तु भयं वीक्ष्य नरः कुर्याद् यथोचितम् ॥ ५७ ॥
परिस्थिति से सामना
रोहन बोला ! मुझे साधु का शाप है कि जब मैं मरूँगा तो भूतों का राजा बनूँगा और उनपर बहुत अत्याचार करूँगा। तुझे क्या लगता है मैं यहाँ रास्ता भटक कर आया हूँ। अरे मैं तो जानबूझ कर मरने आया हूँ ताकि मैं भूतों का राजा बन सकूँ। तुम देर मत करो मुझे राजा बनने जल्दी है।
रोहन के मुख से ऐसा सुनकर सुमेश का भूत बहुत डर गया। उसने सोचा कि अगर मैं इसकी सेवा करुँ तो ये प्रसन्न होकर मुझे अपना मंत्री बना लेगा।
सुमेश का भूत बोला ! अभी आप जो मांगोगे सो ला कर दूंगा जो कहोगे वो करूँगा। मैं आपका अभी से दास हूँ. लेकिन एक शर्त है=> १. मैं आपको अपने हाथ से नहीं मारूँगा। २. आप मरने के बाद जब राजा बनेंगे तो मुझे अपना मंत्री बना लेंगे।
रोहन बोला ! ठीक है मैं जबतक जिन्दा हूँ मेरी सेवा करो। मेरे मरने के बाद मैं तुझे अपना मंत्री बना दूंगा।
रोहन बोलै ! क्या तुम मेरे लिए अभी ढेर सारा धन ला सकते हो ?
सुमेश का भूत ! अभी लाया मेरे मालिक ! कहकर ढेर सारे हीरे जवाहरात लाकर रोहन के सामने रख दिया।
रोहन बोला ! ठीक है थोड़ा मेरे पैर दबा दो मैं थक गया हूँ
सुमेश का भूत ! जल्दी जल्दी रोहन का पैर दबाने लगा और बोला की आप जबभी मुझे याद करेंगे मैं पलक झपकते आपकी सेवा में हाजिर रहूँगा।
रोहन भूत द्वारा दिए गए हीरे जवाहरात लेकर वापस अपने घर चला आया। उन पैसों से उसने अपने सारे उधार चूका दिए।
रोहन को जब कभी जिस चीज़ की जरुरत होती सुमेश के भूत को याद करता और पलक झपकते उसे वो चीज़ मिल जाती। जब कभी उसका मन उदास हो जाता तो सुमेश का भुत उसे अच्छी अच्छी कविताएँ सुनाता।
सीख !
परिस्थिति कैसी भी हो हमें उसका सामना निडर होकर करनी चाहिए। =>मुदित राज
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