छठ पूजा में “12 कोशी” और “24 कोशी” का रहस्य

छठ पूजा, बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों का अत्यंत पवित्र पर्व है। सूर्य देव और छठी मइया की उपासना का यह पर्व श्रद्धा, तप और पूर्ण समर्पण का प्रतीक है। परंतु लोक में अक्सर यह सुना जाता है — “छठ में 12 कोशी” और “24 कोशी भरना”। इन अंकों का क्या अर्थ है? आइए जानते हैं।




1. “24 कोशी” का अर्थ

“24 कोशी भरना” का मतलब होता है कि व्रती ने पूरी श्रद्धा और नियम के साथ छठ व्रत किया।

आध्यात्मिक दृष्टि से:

  • 24 अंक दिन के 24 घंटे का प्रतीक हैं — सूर्य देव का संपूर्ण चक्र।

  • यह पूर्णता, तप और समर्पण का प्रतीक है।

  • लोक विश्वास में, जो व्यक्ति 24 कोशी व्रत करता है, उसे पूर्ण पुण्य और सूर्य के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।

सारांश में, “24 कोशी” व्रत पूर्ण तप और समर्पण का प्रतीक है।


2. “12 कोशी” का अर्थ

कुछ लोग छठ व्रत को “12 कोशी” भी कहते हैं। इसका मतलब होता है कि व्रती ने आधा तप या प्रारंभिक व्रत किया।

विशेषताएँ:

  • यह आधार व्रत माना जाता है, विशेषकर उन महिलाओं के लिए जो पहली बार छठ करती हैं।

  • आधे चक्र का प्रतीक है — जैसे सूर्य के 12 नाम या 12 महीनों का आधा चक्र।

इसलिए, 12 कोशी का व्रत अर्धपूर्ण श्रद्धा और तप का प्रतीक माना जाता है।


3. अंकों का आध्यात्मिक रहस्य

अंकअर्थछठ पूजा में महत्व
6षष्ठी तिथि / छठी मइयापर्व का दिन
12आधा ब्रह्मांड चक्रप्रारंभिक व्रत / अर्ध तप
24पूर्णता / सूर्य का संपूर्ण प्रभावपूर्ण तप और श्रद्धा का प्रतीक

4. निष्कर्ष

छठ पूजा में 12 कोशी और 24 कोशी केवल दूरी या संख्या नहीं हैं। यह श्रद्धा, तप और पूर्ण समर्पण का प्रतीक हैं।

  • 12 कोशी = अर्ध तप / प्रारंभिक व्रत

  • 24 कोशी = पूर्ण तप / पूर्ण श्रद्धा

इस रहस्य को समझकर व्रती अपने व्रत को और अधिक पवित्र और अर्थपूर्ण बना सकते हैं।

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